हाईकोर्ट के फैसले के 24 घंटे में ऐलान, योगी सरकार ने किया OBC आरक्षण के लिए आयोग का गठन

उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने आयोग गठित किया है. यूपी सरकार ने 5 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. ये आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्गों की आबादी को लेकर सर्वे कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी. इस आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को बनाया गया है.

हाईकोर्ट के फैसले के 24 घंटे में ऐलान, योगी सरकार ने किया OBC आरक्षण के लिए आयोग का गठन

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की अनुशंसा के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के बाद 24 घंटे के भीतर यह निर्णय़ लिया गया है. 

जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने आयोग गठित किया है. यूपी सरकार ने 5 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. ये आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्गों की आबादी को लेकर सर्वे कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी. इस आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को बनाया गया है. सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी शामिल हैं. ये आयोग राज्यपाल की सहमति से 6 महीने के लिए गठित किया गया है, जो जल्द से जल्द सर्वे कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगा. 

जानकारी के लिए बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को आदेश दिया था कि ओबीसी आरक्षण के लिए रैपिड टेस्ट का फार्मूला सही नहीं था. यूपी सरकार को डेडिकेटेड आयोग बनाकर पिछड़ा वर्ग आरक्षण की प्रक्रिया का पूरा पालन करना चाहिए था. अदालत ने सरकार से कहा था कि या तो वो ओबीसी आरक्षण वाली सीटों को सामान्य घोषित कर चुनाव कराए या पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए आयोग गठित कर प्रक्रिया को 31 जनवरी तक पूरा करे. 

अदालती फैसले के तुरंत बाद सपा, बसपा जैसे विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया था. सपा और बसपा ने बीजेपी पर आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी होने की तोहमत तक मढ़ दी. हालांकि  सरकार ने विपक्षी हमलों की धार को कुंद करने के लिए त्वरित निर्णय़ लेते हुए आयोग का गठन कर दिया है. हालांकि अब देखना होगा कि ये आयोग क्या 31 जनवरी की समयसीमा में अपनी सिफारिशें दे पाता है, या फिर सरकार हाईकोर्ट की बड़ी बेंच या सुप्रीम कोर्ट से इसकी समय सीमा बढ़ाने के लिए अनुरोध करेगी.